फरीदाबाद। यहां के सत्र न्यायधीश की अदालत ने उन 18 विदेशी तबलीगी जमातियों के विरुद्ध हरियाणा सरकार की पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया। आदेश में कहा गया है कि उनकी जनपद में मात्र उपस्थिति विदेशी अधिनियम के उल्लंघन के समान नहीं है।
Faridabad: Big relief for the tabligi jamati of Indonesia and Philippines from the court
प्रतिवादियों में इंडोनेशिया के 10 और शेष फिलीपींस के नागरिक हैं।
इससे पहले 19 मई को एक निचली अदालत ने रेखित किया था कि उनके विरुद्ध वीजा नियमों की उल्लंघना के प्रथम दृष्टया साक्ष्य नहीं हैं और इसलिए विदेशी अधिनियम की धारा 14(बी) के अंतर्गत चार्ज नहीं लगाए गए।
तदनंतर, हरियाणा सरकार ने सत्र न्यायधीश के समक्ष पुनरीक्षण याचिका प्रस्तुत की।
इस पर, अतिरिक्त जनपद एवं सत्र न्यायधीश राजेश गर्ग ने कहा कि प्रतिवादी विदेशी हैं और वे भारत में पर्यटक के तौर पर आए थे। भारतीयों की भांति उनके साथ व्यवहार किए जाने का उन्हें प्रत्येक अधिकार है। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत यहां रहने के अधिकार की गारंटी है।
हरियाणा सरकार का कहना है कि ये 18 विदेशी मार्च में दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज गए और फिर फरीदाबाद आए। उन्होंने इसके बारे में अथॉरिटी को सूचित नहीं किया, इसलिए उन्होंने विदेशी अधिनियम की धारा 14(बी) के अंतर्गत उल्लंघना की है।
हरियाणा ने यह भी दावा किया कि कोई भी वीजाधारक बिना विशेष अनुमति के तबलीगी कार्य नहीं कर सकता है। यद्यपि वे धार्मिक स्थानों और धार्मिक भाषणों में भाग ले सकते हैं। तथापि धार्मिक विचारधारा पर प्रवचन, धार्मिक स्थानों पर भाषण देने, दृश्य एवं श्रव्य धार्मिक प्रचार सामग्री वितरित करने की अनुमति नहीं है।
निजामुद्दीन मरकज के अभिलेख का परीक्षण करने के पश्चात न्यायालय ने कहा कि यहां तक कि पंजिका में भी कहा गया है कि विदेशी नागरिक प्रतिवादी विभिन्न तिथियों पर वहां गए और इस तरह का संदर्भ नहीं है कि वे वहां रुके या धार्मिक गतिविधियों में भाग लिया, जैसा कि विदेशी अधिनियम की धारा 14(बी) में पारिभाषित किया गया है।
13 जुलाई के आदेश के अनुसार, हरियाणा सरकार के दावे के पारा 1.25 के अनुसार प्रतिवादियों के निजामुद्दीन मरकज में रुकने और धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने की कल्पना की गई है। यदि यह अपराध हुआ हुआ है, तो यह दिल्ली में हुआ है, फरीदाबाद में नहीं।